Thursday, March 17, 2016

चन्दु की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 6 Chandu journey of Indian history part 6

Chandu journey of Indian history part 6 
इस कहानी को भाग एक से पढने के लिये निम्न लिंक पर क्लीक करेंः-
चन्दू इतिहास यात्रा भाग एक
चिंकी ने वापस लौटने के पश्चात अगले दिन स्कूल में चन्दू को उसकी टाईम मशीन वापस कर दी । 

विद्यालय के सातवें कालांश में विद्यार्थियों को पुस्तकालय ले जाने का नियम था उसमें चन्दू ने पुस्तकालयध्यक्ष महोदय से पूछा ‘‘सर क्या अपने पुस्तकालय में विदेशी इतिहास का कोई अनुवादित ग्रन्थ है’’ ? दरअसल चन्दू की मशां थी कि वो विदेशी भाषा के इतिहास ग्रन्थ की सहायता से किसी विदेशी संस्कृति का काल जानकर उसकी यात्रा कर लेगा । 


पुस्तकालय अध्यक्ष रेंचो सर उसकी बात सुनकर मुस्कराए तथा बोले ‘‘चन्दू क्या तुम ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रन्थ ‘‘अवेस्ता’’ का हिन्दी अनुवाद पढ़ना चाहोगे ? 
 चन्दू के सहमति दर्शाने पर सर ने उसे एक पुस्तक निकाल कर दी जिसका नाम था ‘‘अवेस्ता’’ मूल रूप से ईरानी भाषा में लिखे इस ग्रन्थ को पढ़कर चन्दू आश्चर्यचकित हो उठा क्यों कि इसकी ज्यादातर बातें ‘‘ऋग्वेद’’ से मिलती थी । 
 अब चन्दू के समझ में आया कि क्यों प्रो. मैक्समूलर आर्यों को (जो ऋग्वैदिक सभ्यता के निवासी थे) मध्य एशिया (बैक्द्रिया या ईरान के आस पास के क्षेत्र) से आया हुआ मानते थे । 
चन्दू चिल्लाया ‘‘चिंकी आओ में तुम्हें सबूत दिखाता हूं कि क्यों प्रो. मैक्समूलर आर्यों को मध्य एशिया (बैक्द्रिया) से आया मानते थे ।’’ चिंकी भी वैदिक सभ्यता पर एसाइनमेंट लिख रही थी इसलिए चन्दू की बात से उत्साहित होकर दोड़कर आयी तब चन्दू ने बताया कि ईरानी भाषा का प्राचीनतम ग्रन्थ ‘‘अवेस्ता’’ अपने ‘‘ऋग्वेद’’ से मिलता जुलता है । 
 चिंकी बोली ‘‘परन्तु चन्दू बाल गंगाधर तिलक तो आर्यों को उतरी ध्रुव से आया मानते थे ।’’ 
चन्दू हॅंसा ‘‘चिंकी जहां भालु भी मुश्किल से मिलते हैं ऐसे क्षेत्र से आर्य कैसे आए होगें ।’’ 
 चिंकी बोली ‘‘हां वो तो है स्वामी दयानदं सरस्वती ने वैदिक सभ्यता का अध्ययन किया था वो आर्यों को तिब्बत से आया मानते थे ।’’ 
 तब चन्दू बोला चलो इतिहास की मैडम से विषय की जानकारी लेते है। वो मिलकर इतिहास की मैडम श्रीमती लोपामुद्रा अय्यर के पास गये तथा उनसे आर्यों के उद्गम स्थल के बारे में प्रकाश डालने की प्रार्थना की । 
 श्रीमती लोपामुद्रा बोली ‘‘यह सही है कि श्री बालगंगाधर तिलक ने आर्यों को तिब्बत व श्री दयानदं सरस्वती ने उतरी ध्रुव का निवासी बताया है परन्तु इस बारे में अन्य मत भी है जैसे डा. अविनाश चन्द दास इन्हे सप्त सैन्धव प्रदेश से आया बताते हैं तो गंगानाथ झा ब्रह्यर्षि देश से आया बताते हैं । 
 चन्दू बोला ‘‘पर मैडम उतरी ध्रुव में तो भालु रहते हैं सप्त सैन्धव देश व ब्रह्यर्षि देश कौनसे देश है ये कहाॅं पर स्थित हैं ? मैडम हंसी ‘‘चन्दू ये तो मैं भी नहीं जानती पर इस बारे में विदेशी विद्ववानों के भी मत हैं नेहरिगं व प्रो. गार्डन आर्यों को दक्षिणी रूस से आया मानते हैं प्रो. पेन्का जर्मनी से आया मानते हैं ।
 वस्तुत अधिकाशं विद्ववान प्रो. मैक्समूलर की बातों से सहमत है कि आर्य मध्य एशिया के निवासी थे । 
 इतने में स्कूल की छुट्टी हो गयी । 
 श्रखंला आपको कैसी लगी कमेटं में अवश्य दर्ज करें ।
क्रमशः----- शेष Link for next part
चन्दु की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 7 (click on link to read next)
मे पढे । 
Avesta relation with righveda ancient Indian history notes in Hindi, chandu history journey.

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