Tuesday, June 24, 2014

चन्दू की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 1 Chandu Journey of Indian History Part 1

चन्दू कौन है? 
चन्दू एक काल्पनिक इतिहास पुरूष है।दरअसल जब मैं आर.ए.एस की तैयारी करता था तब मुझे लगता था कि हम इतिहास की अधिंकाश बातें भुल जाते हैं क्यों कि वो हमें बोर करती है परन्तु किसी फिल्म या उपन्यास की बाते हमें अक्सर याद रहती है।
मेरे आदरणीय गुरूजी श्री मनीराम सेतिया भी हमें बचपन में कहा करते थे कि ‘‘कैमिस्ट्री और हीस्ट्री है ऐसी बेवफा। कि रात को पढो तो सुबह सफा।।’’ इसी समस्या को हल करने के लिये मैने एक काल्पनिक पात्र चन्दू की रचना की है जो पुरा पाषाण काल से लेकर भारत की आजादी तक यात्रा करता है उसकी इस रहस्य रोमांच से भरपुर यात्रा हमें बरबस ही भारतीय इतिहास सीखा जाती है इस रोचक उपन्यास को मेरे पाठकों की मांग पर धारावाहिक रूप से उपलब्ध करवाया जा रहा है।
कृपया इस सामग्री को ब्लोग लेखक महेश चन्द्र कौशिक की लिखित अनुमति के बगैर अन्य प्रकाशित नहीं करें क्यों कि यह सामग्री मेरी बौद्धिक सम्पदा है।आप इसे फेसबुक पर शेयर कर सकते हैं। 
उपन्यास को इस ब्लोग पर धारावाहिक के रूप में प्रकाशित किया जाना है परन्तु कृपया ध्यान रखें कि मेरे द्वारा 10 ब्लोग लिखे जाते हैं इसलिये एक भाग के प्रकाशन के बाद दुसरे भाग के प्रकाशन में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है।
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चन्दू की इतिहास यात्रा 

चन्दू बचपन से ही विज्ञान मिथक कथाओं में रूचि रखता था। उसने टाईम मशीन के बारे में अनेक विज्ञान मिथक कथाओं में पढा था। टाईम मशीन एक ऐसी घड़ी होती है जिसको कलाई पर बांध कर उसमें लिखे सवंत को सेट करने पर आदमी उसी काल में पहुंच जाता है। 
चन्दू ऐसी ही किसी टाईम मशीन की तलाश में था तथा एक दिन जब वो टाईम मशीन के बारे में सोचते सोचते सो जाता है तो क्या देखता है कि अचानक ही टाईम मशीन उसके हाथ लग जाती है। 
चन्दू इसे अपनी कलाई पर बांध कर सोचने लगता है कि वो सबसे पहले किस काल की यात्रा करे उसे याद आता है कि पुरा पाषाण काल का समय 3500 ई0पू0 से 10000 ई0पू0 था इसलिये वो घड़ी में 5500 ई0पू0 भरता है।
 एक तेज झटके के साथ चन्दू अपने आप को एक नदी के किनारे पाता है। चन्दू की टाईम मशीन में यह भी सुविधा है कि वो किस स्थान पर है वो उसमें डीस्पले हो सकता है चन्दू स्थान डीस्पले बटन को दबाता है तो पल्लवरम (मद्रास के निकट ) अपने आप को पाता है। 
पास ही बह रही नदी में पत्थर के अनके गोल टुकड़े हैं जो उसे याद आते हैं कि इतिहास की मैडम इनके बारे में बताती थी ये टुकडे पेबुल कहलाते थे। 

चन्दू आज पेबुल को अपनी आंखों से देखकर रोमांचित हो उठता है।                      CLICK HERE TO READ PART 2 OF THIS STORY
Key words:- Chandu journey of indian history, Mahesh Kaushik Novel "Chndu ki Itihas yatra"
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6 comments:

  1. Mahesh ji Chandu 24 june 2014 se paibul hi dekh rha h kya.. aage ki story bhi to post kro

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    1. नमस्ते सर मुझे लगा कि पाठको के इस स्टोरी पर कोई कमेंट नहीं आये तो उनकी इस प्रकार से ईतिहास पढने में कोई रूचि नहीं है इसलिये मैने अपने इस दुर्लभ वर्क को आगे पोस्ट नहीं किया क्यों कि पाठको ने मेरी पीठ नहीं थपथपाई तो मैं मेरे अन्य ब्लोगों पर ज्यादा ध्यान देने लगा। अब आपने मेरे को थोडी एनर्जी दी है इसलिये आज तो रात बहुत हो गयी है मै सोने जा रहा हुं कल से प्रति सप्ताह इस स्टोरी को अपडेट करता रहुंगा। पाठक भी थोड़े कमेंट वगैरा करते रहें ताकि मैं इस ब्लोग से जुडा रह सकूं।धन्यवाद

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  2. Mahesh ji.. Ur way teaching of history is too good...i like it...pls keep posting. . N sir pls also tell me k ye upnyas m kse prapt kr skta hu,..pls reply soon

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  3. Sir chandu k sath history ki yatra m le chaliye

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  4. u r the best plz keep it on

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