चन्दु की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 4 से आगे
Chandu Journey of Indian History Part 5
चिकीं ने देखा वह एक किलेबंद शहर मे है जिसके चारो तरफ खाई खुदी हुई है वहा बडे बडे कच्ची मिटटी के बने हुए मकान थे कुछ मकान गोलाकार गडडे नुमा थे । चिंकी जोरवे संस्कृति के सबसे बड़े नगर दैमाबाद को देखकर आश्चर्य चकित थी कि नगर मे लोग घोडे की सवारी नही कर रहे थे इससे उसको समझ मे आया कि ताम्रपाषण काल के लोग घोडे से परिचित नही थे ।
औरते लाल मिटटी से पुती हुई काली चित्रकारी की हुई टोटी लगी हुई मिटटी की मटकियो मे पानी ला रही थी बर्तनो पर डीजाईन समान्तर लाईनो के रूप मे ज्यामितिय बने थे ।
एक जगह चिंकी ने देखा कि काफी स्त्री पुरूष इकठठे हुए है नजदीक से देखने पर ज्ञात हुआ कोई मर गया था मृतक को एक बडे कलश मे रखकर घर के आंगन मे दफनाया जा रहा था कब्र मे भी मिटटी की हंडिया व तांबे की कुछ वस्तुएं रखी जा रही थी जो उनकी बातचीत से लग रहा था कि मृतक के परलोक मे काम आवे इसके लिए ये वस्तुए मृतक के साथ मे दफनायी जा रही थी मृतक का शरीर उत्तर दक्षिण की तरफ रखा गया था । चिंकी को एक आश्चर्य यह भी था आज भी ठेठ महाराष्ट्र की संस्कुति दैमाबाद की जोरवे संस्कुति से मेल खा रही थी । खासकर के लाल मिटटी पर काली ज्यामिति वाले टोटी नुमा बर्तन आज भी महाराष्ट्रा के गांवो मे चिंकी ने देखे थे ।
( चिंकी बम्बई की रहने वाली थी उसे आपने मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म मे देखा होगा ) । अन्य वस्तुए जो चिंकी ने दैमाबाद मे देखीः- मछली पकडने के काटे मातृदेवी की पूजा व वृषभ की मूर्ति की पूजा ( जो वर्तमान काल मे भी शिव-पार्वती व गौ-पूजन के रूप् मे की जाती है ) कांसे की वस्तुए एक पाचं कमरो का मकान देखा जिसमे 4 कमरे आयताकार व एक वृताकार था ।
अब चिंकी ने टाईम मशीन मे अन्य समान्तर शहरो के नाम देखे तो राजस्थान के तीन ताम्रपाषण कालीन शहरो के नाम उसे फलैश होते हुए दिखे । 1 गिलुण्ड 2 आहर ( तम्बाबती ) 3 गणेश्वर चिंकी दैमाबाद का यात्रा से उब चुकी थी इसलिए उसने गणेश्वर की यात्रा हेतु टाईम मशीन का बटन दबा दिया । पलक झपकते ही चिंकी ने अपने आपको प्राचीन गणेश्वर स्थल मे पाया उसने देखा कि तांबे की वस्तुओ की आपूर्ति हडप्पा सभ्यता के लोगो को करनेे के लिए व्यापारी लोग एकत्रित हुए है।
चिंकी को घर वापस लौटने की जल्दी थी फिर भी उसने मशीन की तरफ अन्य समान्तर शहरो को देखा तो गुन्नेरिया, मालबा व कायथा ( मध्यप्रदेश ) नाम भी फलैश हो रहा था परन्तु चिंकी मालबा गुन्नेरिया व कायथा नही गयी क्योंकी एक तो वह काफी थक चुकी थी दुसरे उसे याद भी था कि मालबा मे ताम्रपाषाण काल के सबसे उत्कृष्ठ मृदभाण्ड पाये जाते है । व गुन्नेरिया मे सबसे अधिक मात्रा मे ताबे व चांदी की वस्तुए मिली है यदपि उसकी इच्छा गुन्नेरिया ( मध्यप्रदेश ) मे मिले 424 तांबे के औजार व 102 चांदी की पतरे नुमा वस्तुए देखने की परन्तु उसे घर पहुचने की जल्दी भी इसलिए उसने टाईम मशीन पर वापसी का बटन दबा दिया ।
क्रमशः----- शेष चन्दु की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 6 मे पढे ।
Next part:-
http://www.indianhistorynotes.in/2016/03/6-chandu-journey-of-indian-history-part.html
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Chandu Journey of Indian History Part 5
चिकीं ने देखा वह एक किलेबंद शहर मे है जिसके चारो तरफ खाई खुदी हुई है वहा बडे बडे कच्ची मिटटी के बने हुए मकान थे कुछ मकान गोलाकार गडडे नुमा थे । चिंकी जोरवे संस्कृति के सबसे बड़े नगर दैमाबाद को देखकर आश्चर्य चकित थी कि नगर मे लोग घोडे की सवारी नही कर रहे थे इससे उसको समझ मे आया कि ताम्रपाषण काल के लोग घोडे से परिचित नही थे ।
औरते लाल मिटटी से पुती हुई काली चित्रकारी की हुई टोटी लगी हुई मिटटी की मटकियो मे पानी ला रही थी बर्तनो पर डीजाईन समान्तर लाईनो के रूप मे ज्यामितिय बने थे ।
एक जगह चिंकी ने देखा कि काफी स्त्री पुरूष इकठठे हुए है नजदीक से देखने पर ज्ञात हुआ कोई मर गया था मृतक को एक बडे कलश मे रखकर घर के आंगन मे दफनाया जा रहा था कब्र मे भी मिटटी की हंडिया व तांबे की कुछ वस्तुएं रखी जा रही थी जो उनकी बातचीत से लग रहा था कि मृतक के परलोक मे काम आवे इसके लिए ये वस्तुए मृतक के साथ मे दफनायी जा रही थी मृतक का शरीर उत्तर दक्षिण की तरफ रखा गया था । चिंकी को एक आश्चर्य यह भी था आज भी ठेठ महाराष्ट्र की संस्कुति दैमाबाद की जोरवे संस्कुति से मेल खा रही थी । खासकर के लाल मिटटी पर काली ज्यामिति वाले टोटी नुमा बर्तन आज भी महाराष्ट्रा के गांवो मे चिंकी ने देखे थे ।
( चिंकी बम्बई की रहने वाली थी उसे आपने मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म मे देखा होगा ) । अन्य वस्तुए जो चिंकी ने दैमाबाद मे देखीः- मछली पकडने के काटे मातृदेवी की पूजा व वृषभ की मूर्ति की पूजा ( जो वर्तमान काल मे भी शिव-पार्वती व गौ-पूजन के रूप् मे की जाती है ) कांसे की वस्तुए एक पाचं कमरो का मकान देखा जिसमे 4 कमरे आयताकार व एक वृताकार था ।
अब चिंकी ने टाईम मशीन मे अन्य समान्तर शहरो के नाम देखे तो राजस्थान के तीन ताम्रपाषण कालीन शहरो के नाम उसे फलैश होते हुए दिखे । 1 गिलुण्ड 2 आहर ( तम्बाबती ) 3 गणेश्वर चिंकी दैमाबाद का यात्रा से उब चुकी थी इसलिए उसने गणेश्वर की यात्रा हेतु टाईम मशीन का बटन दबा दिया । पलक झपकते ही चिंकी ने अपने आपको प्राचीन गणेश्वर स्थल मे पाया उसने देखा कि तांबे की वस्तुओ की आपूर्ति हडप्पा सभ्यता के लोगो को करनेे के लिए व्यापारी लोग एकत्रित हुए है।
चिंकी को घर वापस लौटने की जल्दी थी फिर भी उसने मशीन की तरफ अन्य समान्तर शहरो को देखा तो गुन्नेरिया, मालबा व कायथा ( मध्यप्रदेश ) नाम भी फलैश हो रहा था परन्तु चिंकी मालबा गुन्नेरिया व कायथा नही गयी क्योंकी एक तो वह काफी थक चुकी थी दुसरे उसे याद भी था कि मालबा मे ताम्रपाषाण काल के सबसे उत्कृष्ठ मृदभाण्ड पाये जाते है । व गुन्नेरिया मे सबसे अधिक मात्रा मे ताबे व चांदी की वस्तुए मिली है यदपि उसकी इच्छा गुन्नेरिया ( मध्यप्रदेश ) मे मिले 424 तांबे के औजार व 102 चांदी की पतरे नुमा वस्तुए देखने की परन्तु उसे घर पहुचने की जल्दी भी इसलिए उसने टाईम मशीन पर वापसी का बटन दबा दिया ।
क्रमशः----- शेष चन्दु की भारतीय इतिहास यात्रा भाग 6 मे पढे ।
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really fine
ReplyDeleteआगे की कहानी क्यों नहीं पोस्ट करते सर जी
ReplyDeleteदिनेश सरोज जी काफी दिन के अतंराल के बाद भी कोई कहानी की मांग नहीं कर रहा था इसलिये पोस्ट नहीं की थी अब आपने मांग की है तो अगला लेख इसी कहानी का अगला भाग होगा। धन्यवाद आपकी रूचि के लिये आपको प्रणाम
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